सत्य का है अर्थ क्या
ये प्रश्न तो है व्यर्थ का
जीवन काल चक्र संग्राम
विपदा, संकट, और तनिक विश्राम
पथ, पथिक, मंजिल, डग, डगर
सपने वास्तविकता, चाह पर मगर
रेशम का ताना बाना, जाना अन्जाना
कुछ उस बुनकर ने बुना, कुछ हमने बुन डाला
नाम दिया था जीवन इसको
कुछ था गलत, कुछ हमने गलत कर डाला
निशब्द हैं, अब रास्ते सारे
मूक हैं, खामोश हैं, निरर्थक सारे
एक आस है सावन का मौसम भी आएगा
पतझड़ है अभी, पर वो भी कभी तो जायेगा
एक नया सवेरा होगा, खुशियों की किरने लायेगा
दम भर ले थोड़ा, एक दिन ऐसा भी आएगा....